भारतीय संविधान की विशेषताएँ (Characteristics of Indian Constitution)

 


भारतीय संविधान की विशेषताएँ (Characteristics of Indian Constitution)


 

भारतीय संविधान, जिसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया, भारत के लोकतांत्रिक शासन की नींव है। यह विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है और इसमें देश के शासन, नागरिकों के अधिकार, कर्तव्यों और सरकार की संरचना के बारे में विस्तृत प्रावधान शामिल हैं। भारतीय संविधान की कई विशेषताएँ इसे अद्वितीय बनाती हैं। यहां हम इन विशेषताओं का विस्तारपूर्वक अध्ययन करेंगे।


 

1. सबसे बड़ा लिखित संविधान (Largest Written Constitution):

भारतीय संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। जब इसे लागू किया गया, तब इसमें 395 अनुच्छेद (Articles), 22 भाग (Parts) और 8 अनुसूचियाँ (Schedules) थीं। समय के साथ इसमें संशोधन किए गए और वर्तमान में इसमें 470 से अधिक अनुच्छेद और 12 अनुसूचियाँ हैं।

इसकी विस्तारशीलता का मुख्य कारण भारत की विविधता, विभिन्न जातीय समूह, भाषाएँ, और भौगोलिक क्षेत्रों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखना था।


 

2. पंथनिरपेक्षता (Secularism):

भारतीय संविधान भारत को एक पंथनिरपेक्ष देश घोषित करता है। इसका अर्थ है कि राज्य का कोई आधिकारिक धर्म नहीं है और सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान दिया जाता है।

  • हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, पालन करने और प्रचार करने की स्वतंत्रता है।
  • राज्य धर्म के आधार पर किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं करता।
  • धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप किए बिना, राज्य सामाजिक और आर्थिक समानता सुनिश्चित करता है।

 

3. संघात्मक और एकात्मक विशेषताएँ (Federal and Unitary Features):

भारतीय संविधान संघात्मक प्रणाली का पालन करता है, लेकिन इसमें एकात्मक विशेषताएँ भी हैं।

  • संघात्मक विशेषताएँ: केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का विभाजन।
  • एकात्मक विशेषताएँ: केंद्र सरकार को आवश्यकता पड़ने पर राज्यों पर अधिक शक्ति प्राप्त होती है।

भारत में संघीय ढाँचे को "सहकारी संघवाद" (Cooperative Federalism) के रूप में जाना जाता है, जिसमें केंद्र और राज्य एक साथ काम करते हैं।


 

4. गणराज्य (Republic):

भारतीय संविधान ने भारत को एक गणराज्य घोषित किया है। इसका मतलब है कि राज्य का प्रमुख (राष्ट्रपति) जनता द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है।

  • भारत में कोई वंशानुगत राजा या सम्राट नहीं होता।
  • राष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है और वह जनता के प्रति जवाबदेह होता है।

 

5. लोकतंत्र (Democracy):

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जहाँ सरकार जनता के लिए, जनता द्वारा और जनता की होती है।

  • सभी नागरिकों को वयस्क मताधिकार (Adult Suffrage) का अधिकार है।
  • चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और नियमित रूप से होते हैं।
  • लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से नागरिक सरकार के कामकाज में भाग लेते हैं।

 

6. न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता (Justice, Liberty, Equality, and Fraternity):

भारतीय संविधान का मुख्य उद्देश्य समाज में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय को सुनिश्चित करना है।

  • न्याय: सभी को कानून के समक्ष समान न्याय प्रदान किया जाता है।
  • स्वतंत्रता: अभिव्यक्ति, धर्म, शिक्षा, और पेशे की स्वतंत्रता दी गई है।
  • समानता: जाति, धर्म, लिंग, भाषा आदि के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता।
  • बंधुता: संविधान भारत की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए भाईचारे की भावना को बढ़ावा देता है।

 

7. मौलिक अधिकार (Fundamental Rights):

भारतीय संविधान नागरिकों को 6 मुख्य मौलिक अधिकार प्रदान करता है। ये अधिकार भारतीय नागरिकों के जीवन में स्वतंत्रता, समानता, और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

1.  समानता का अधिकार।

2.  स्वतंत्रता का अधिकार।

3.  शोषण के विरुद्ध अधिकार।

4.  धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार।

5.  संस्कृति और शिक्षा का अधिकार।

6.  संवैधानिक उपचारों का अधिकार।


 

8. मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties):

1976 में 42वें संशोधन के माध्यम से संविधान में मौलिक कर्तव्यों को जोड़ा गया। ये नागरिकों को अपने देश और समाज के प्रति उत्तरदायी बनाते हैं।

  • संविधान का पालन करना।
  • राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रगान का सम्मान करना।
  • पर्यावरण की रक्षा करना।
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण और मानवतावादी सोच का विकास करना।

 

9. संसदीय प्रणाली (Parliamentary System):

भारतीय संविधान ने संसदीय प्रणाली को अपनाया है।

  • राष्ट्रपति, जो देश का संवैधानिक प्रमुख होता है, केवल एक नाममात्र का प्रमुख होता है।
  • वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के हाथों में होती है।

 

10. स्वतंत्र न्यायपालिका (Independent Judiciary):

भारतीय संविधान ने न्यायपालिका को स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाया है।

  • सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और अन्य निचली अदालतें न्यायपालिका का हिस्सा हैं।
  • न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका से स्वतंत्र है।
  • यह नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखता है।

 

11. संविधान का लचीलापन और कठोरता (Flexibility and Rigidity):

भारतीय संविधान को संशोधित करना न तो बहुत कठिन है और न ही बहुत आसान।

  • इसमें लचीलापन है, ताकि समय और परिस्थितियों के अनुसार इसे बदला जा सके।
  • इसमें कठोरता भी है, ताकि इसके मूल सिद्धांतों से छेड़छाड़ न हो सके।

 

12. आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provisions):

भारतीय संविधान में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रावधान हैं।

  • यदि देश की सुरक्षा को खतरा हो, तो केंद्र सरकार आपातकाल लागू कर सकती है।
  • आपातकालीन स्थिति में केंद्र को अधिक शक्तियाँ मिलती हैं।

 

13. धर्मनिरपेक्षता और समान नागरिक संहिता (Secularism and Uniform Civil Code):

भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को बढ़ावा देता है।

  • सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान दिया जाता है।
  • समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का उद्देश्य है कि सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू हों, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो।

 

14. सामाजिक न्याय और विशेष प्रावधान (Social Justice and Special Provisions):

संविधान समाज के कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और महिलाओं के लिए विशेष प्रावधान करता है।

  • आरक्षण प्रणाली।
  • आर्थिक और शैक्षिक उत्थान के लिए विशेष योजनाएँ।

 

15. भारतीय संविधान की प्रस्तावना (Preamble):

संविधान की प्रस्तावना इसका सार है। इसमें भारत को एक "संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य" घोषित किया गया है।

प्रस्तावना के मुख्य उद्देश्य:

  • न्याय।
  • स्वतंत्रता।
  • समानता।
  • बंधुता।

निष्कर्ष (Conclusion):

भारतीय संविधान न केवल भारत के शासन की रूपरेखा प्रस्तुत करता है, बल्कि यह देश के नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों को भी सुनिश्चित करता है। इसकी विविध और अनूठी विशेषताएँ इसे विश्व में अद्वितीय बनाती हैं। संविधान भारत के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।


 

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