मानव आंख और रंगीन दुनिया (The Human Eye and the Colourful World)
मानव आंख और रंगीन दुनिया (The Human Eye and the Colourful World)
इस अध्याय में हम आंख की संरचना, प्रकाश के अपवर्तन और इससे जुड़े अन्य महत्वपूर्ण विषयों को समझेंगे। यह अध्याय महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बताता है कि हम कैसे देख पाते हैं और रंगों का अनुभव कैसे होता है।
मानव आंख की संरचना (Structure of the Human Eye)
मानव आंख की संरचना काफी जटिल है और कई हिस्सों से मिलकर बनी होती है। आइए इसे विस्तार से समझें:
a. कॉर्निया (Cornea)
- यह आंख का सबसे बाहरी पारदर्शी हिस्सा होता है।
- प्रकाश सबसे पहले कॉर्निया से होकर आंख के अंदर प्रवेश करता है।
- कॉर्निया में अपवर्तन (Refraction) होता है, जो प्रकाश को फोकस करने में मदद करता है।
b. पुतली (Pupil)
- यह आंख के बीच का एक छोटा छेद होता है जिससे प्रकाश आंख के अंदर प्रवेश करता है।
- पुतली की चौड़ाई प्रकाश की मात्रा के अनुसार बदलती रहती है: अधिक प्रकाश होने पर यह संकरी हो जाती है और कम प्रकाश होने पर चौड़ी।
c. आईरिस (Iris)
- आईरिस एक रंगीन मांसपेशी होती है जो पुतली को घेरे रहती है।
- इसका कार्य पुतली की चौड़ाई को नियंत्रित करना होता है ताकि सही मात्रा में प्रकाश आंख में प्रवेश कर सके।
d. लेंस (Lens)
- यह एक पारदर्शी, द्विनत (Convex) लेंस होता है।
- इसका कार्य प्रकाश किरणों को अपवर्तित करके रेटिना पर केंद्रित करना होता है।
- लेंस का आकार बदल सकता है जिससे वस्तु को देखने के लिए फोकस करना संभव होता है। इसे ऐकमोडेशन (Accommodation) कहते हैं।
e. रेटिना (Retina)
- रेटिना आंख का वह भाग है जहाँ प्रकाश केंद्रित होकर एक चित्र बनाता है।
- इसमें विशेष प्रकार की कोशिकाएँ होती हैं जिन्हें रॉड्स और कोन्स कहते हैं। रॉड्स रात में देखने के लिए होती हैं जबकि कोन्स रंगों को पहचानने के लिए होती हैं।
- रेटिना पर बनने वाले चित्र को तंत्रिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क तक भेजा जाता है।
f. ऑप्टिक तंत्रिका (Optic Nerve)
- यह आंख और मस्तिष्क के बीच का संपर्क स्थापित करती है।
- ऑप्टिक तंत्रिका रेटिना से संदेश को मस्तिष्क तक ले जाती है, जिससे हमें वस्तुओं का वास्तविक अनुभव होता है।
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करता है, तो उसकी गति और दिशा बदल जाती है। इसे अपवर्तन (Refraction) कहते हैं। मानव आंख में प्रकाश का अपवर्तन विभिन्न सतहों पर होता है जिससे छवि रेटिना पर बन पाती है।
a. अपवर्तन का कार्य
- कॉर्निया और लेंस के कारण प्रकाश की किरणें अपवर्तित होती हैं और रेटिना पर केंद्रित होती हैं।
- रेटिना पर बनने वाला चित्र वास्तविक (Real), उल्टा (Inverted) और छोटा होता है।
b. अपवर्तन की भूमिका
- लेंस में अपवर्तन की मात्रा लेंस की वक्रता पर निर्भर करती है। लेंस की मांसपेशियाँ इसे बदलने में मदद करती हैं।
- दूर और पास की वस्तुओं को देखने के लिए लेंस की वक्रता बदलती रहती है। इसे ऐकमोडेशन (Accommodation) कहते हैं।
c. अपवर्तन त्रुटियाँ (Refraction Errors)
- निकट दृष्टि दोष (Myopia): जब व्यक्ति दूर की वस्तुएं नहीं देख पाता। इसका कारण आंख का लेंस अधिक उत्तल हो जाना या आंख का आकार बढ़ जाना है।
- दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia): जब व्यक्ति पास की वस्तुएं नहीं देख पाता। इसका कारण लेंस का पतला होना या आंख का आकार छोटा होना है।
- दृष्टि दोष (Astigmatism): जब लेंस या कॉर्निया की सतह असमान हो जाती है, जिससे कुछ दिशा में देखने में कठिनाई होती है।
इन त्रुटियों को कॉन्वेक्स (Convex) या कंक्वेक्स (Concave) लेंस का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है।
रंगीन दुनिया (The Colourful World)
प्रकाश में कई रंग होते हैं। जब सफेद प्रकाश किसी प्रिज्म से गुजरता है, तो यह विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाता है। इसे विकिरण (Dispersion) कहते हैं। मानव आंख इन सभी रंगों का अनुभव कर सकती है।
a. प्रकाश का विभाजन (Dispersion of Light)
- जब सफेद प्रकाश प्रिज्म से गुजरता है, तो यह सात रंगों (लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और बैंगनी) में विभाजित हो जाता है।
- यह विकिरण रंगों का कारण बनता है जिसे हम वर्षा के बाद इंद्रधनुष में देख सकते हैं।
b. इंद्रधनुष का निर्माण (Formation of Rainbow)
- वर्षा की बूंदें प्रिज्म की तरह कार्य करती हैं और सफेद प्रकाश को विभाजित कर देती हैं।
- इस कारण से इंद्रधनुष में विभिन्न रंग दिखाई देते हैं।
आंखों की देखभाल के लिए सुझाव
- पर्याप्त रोशनी में पढ़ना चाहिए।
- आंखों की नियमित जांच करवानी चाहिए।
- यदि कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टरी परामर्श लेना चाहिए।
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