आवर्त सारणी और तत्वों का आवर्तीकरण (Periodic Table & Classification of Elements)

 


आवर्त सारणी और तत्वों का आवर्तीकरण (Periodic Table & Classification of Elements)


 

तत्वों का आवर्ती वर्गीकरण (Periodic Classification of Elements) एक महत्वपूर्ण अध्याय है जिसमें हम तत्वों को एक व्यवस्थित तरीके से वर्गीकृत करते हैं ताकि उनके गुणधर्मों और व्यवहार को बेहतर ढंग से समझा जा सके। यह अध्ययन रासायनिक तत्वों के व्यवस्थित संगठन और उनके बीच समानताओं और अंतर को दिखाने वाले विभिन्न नियमों के विकास पर आधारित है। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं:-


 

 

 

 


1. आवर्त सारणी का इतिहास (History of the Periodic Table)


 

(a) डॉबरीनियर का त्रिक नियम (Dobereiner's Triads) 

1817 में जोहान डॉबरीनियर ने तत्वों को तीन-तीन के समूहों (त्रिकों) में वर्गीकृत किया, जिनमें मध्य तत्व का परमाणु द्रव्यमान अन्य दो तत्वों के औसत के बराबर होता था। 

उदाहरण: 

- लिथियम (Li), सोडियम (Na), पोटैशियम (K) का त्रिक। 

हालांकि, यह नियम सभी ज्ञात तत्वों पर लागू नहीं हुआ, इसलिए इसे व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया।


 

(b) न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newlands' Law of Octaves) 

1866 में न्यूलैंड्स ने तत्वों को उनके बढ़ते परमाणु द्रव्यमान के क्रम में रखा और पाया कि प्रत्येक आठवां तत्व पहले तत्व के समान गुणधर्म प्रदर्शित करता है, ठीक जैसे संगीत के सप्तक में। 

सीमाएं: यह नियम 56 से अधिक तत्वों पर लागू नहीं हुआ और इसमें उपयुक्तता की कमी थी।


 

(c) मेंडलीफ की आवर्त सारणी (Mendeleev’s Periodic Table) 

दिमित्री मेंडलीफ ने 1869 में तत्वों को उनके परमाणु द्रव्यमान के आधार पर वर्गीकृत किया। 

- उन्होंने तत्वों को पंक्तियों और स्तंभों में व्यवस्थित किया, जिससे उनके गुणधर्मों के आधार पर समानता प्रकट हुई। 

- मेंडलीफ ने आवर्त सारणी में कुछ खाली स्थान छोड़े और भविष्य में पाए जाने वाले तत्वों की भविष्यवाणी भी की। 

सीमाएं: मेंडलीफ की सारणी में हाइड्रोजन की स्थिति और समस्थानिकों (Isotopes) के स्थान को लेकर कुछ समस्याएं थीं।


 

(d) आधुनिक आवर्त नियम (Modern Periodic Law) 

1913 में हेनरी मोसले ने आधुनिक आवर्त नियम दिया, जिसके अनुसार "तत्वों के रासायनिक और भौतिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांक (Atomic Number) पर निर्भर करते हैं।" 

इस नियम के आधार पर आधुनिक आवर्त सारणी बनाई गई।


 

 

 

 


2. आधुनिक आवर्त सारणी (Modern Periodic Table)


 

(a) विशेषताएं (Features) 

- यह आवर्त सारणी 18 समूह (Groups) और 7 आवर्त (Periods) में विभाजित है। 

- इसमें तत्वों को उनके परमाणु क्रमांक के आधार पर व्यवस्थित किया गया है। 

- समूहों में स्थित तत्व समान गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं जबकि आवर्तों में गुणधर्मों में क्रमिक परिवर्तन देखा जाता है।


 

(b) आवर्त सारणी के समूह और आवर्त 

- समूह (Groups): समान गुणधर्मों वाले तत्वों को ऊर्ध्वाधर पंक्तियों (Vertical Columns) में रखा गया है। 

- आवर्त (Periods): क्षैतिज पंक्तियों में स्थित तत्वों को आवर्त कहा जाता है। 

 

उदाहरण: 

- प्रथम समूह के तत्व जैसे हाइड्रोजन (H), सोडियम (Na), और पोटैशियम (K) सभी धात्विक गुण प्रदर्शित करते हैं। 

- दूसरे आवर्त में स्थित तत्व लिथियम (Li) से नीयोन (Ne) तक क्रमिक परिवर्तन दिखाते हैं।


 

 

 

 


3. आवर्तीय प्रवृत्तियाँ (Periodic Trends)


 

(a) परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius) 

- किसी तत्व के परमाणु के केंद्र (नाभिक) से उसके बाहरीतम इलेक्ट्रॉन तक की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं। 

- आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर: परमाणु त्रिज्या घटती है क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ता है और बाहरी इलेक्ट्रॉनों पर अधिक आकर्षण होता है। 

- समूह में ऊपर से नीचे जाने पर: परमाणु त्रिज्या बढ़ती है क्योंकि नये आवर्त जुड़ते जाते हैं।


 

(b) आयनीकरण ऊर्जा (Ionization Energy) 

- यह वह ऊर्जा है जो एक तटस्थ परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए आवश्यक होती है। 

- आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर: यह बढ़ती है क्योंकि नाभिकीय आवेश बढ़ता है। 

- समूह में ऊपर से नीचे जाने पर: यह घटती है क्योंकि परमाणु का आकार बढ़ जाता है।


 

(c) वैद्युतीय ऋणात्मकता (Electronegativity) 

- किसी तत्व के परमाणु द्वारा यौगिक में साझा किए गए इलेक्ट्रॉन को अपनी ओर आकर्षित करने की प्रवृत्ति को वैद्युतीय ऋणात्मकता कहते हैं। 

- आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर: यह बढ़ती है। 

- समूह में ऊपर से नीचे जाने पर: यह घटती है।


 

 

 

 


4. तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements Based on their Physical Properties)


 

- धातु (Metals): सामान्य रूप से विद्युत और ऊष्मा के अच्छे चालक होते हैं। 

- अधातु (Non-Metals): ये विद्युत और ऊष्मा के खराब चालक होते हैं। 

- उपधातु (Metalloids): ये धातुओं और अधातुओं दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं।


 

i. धातु (Metals) 

- विशेषताएँ: 

   - धातु सामान्यत: ठोस अवस्था में पाई जाती हैं (पारा अपवाद है, यह तरल है)।

   - इनमें विद्युत और ऊष्मा का अच्छा चालक होने की क्षमता होती है।

   - इनका तन्य (Ductile) और आघातवर्धनीय (Malleable) होना सामान्य गुण है। 

   - धातुएं आमतौर पर चमकीली होती हैं और इनमें उच्च गलनांक और क्वथनांक होते हैं।

उदाहरण: सोडियम (Na), पोटैशियम (K), तांबा (Cu), लोहा (Fe), स्वर्ण (Au), और चांदी (Ag)


 

ii. अधातु (Non-Metals) 

- विशेषताएँ: 

   - ये विद्युत और ऊष्मा के खराब चालक होते हैं। 

   - ये न तो तन्य होती हैं और न ही आघातवर्धनीय होती हैं, बल्कि वे भंगुर (Brittle) होती हैं। 

   - इनमें चमक नहीं होती (केवल ग्रेफाइट और हीरा अपवाद हैं)। 

   - अधिकतर अधातु गैसों के रूप में पाई जाती हैं।

उदाहरण: कार्बन (C), ऑक्सीजन (O), नाइट्रोजन (N), क्लोरीन (Cl), सल्फर (S)


 

iii. उपधातु (Metalloids) 

- ये वे तत्व हैं जो धातुओं और अधातुओं दोनों के गुण प्रदर्शित करते हैं। 

उदाहरण: सिलिकॉन (Si), जर्मेनियम (Ge), आर्सेनिक (As)


 

 

 

 


5. तत्वों का वर्गीकरण (Classification of Elements in Blocks Based on Blocks)


 

i. s-ब्लॉक तत्व (s-block Elements) 

   - इनमें पहले और दूसरे समूह के तत्व आते हैं। 

   - ये आसानी से इलेक्ट्रॉन छोड़ देते हैं और धात्विक गुण प्रदर्शित करते हैं। 

   - उदाहरण: हाइड्रोजन (H), लीथियम (Li), मैग्नीशियम (Mg)


 

ii. p-ब्लॉक तत्व (p-block Elements) 

   - 13 से 18 समूह के तत्व p-ब्लॉक में आते हैं। 

   - इनमें धातु, अधातु और उपधातु शामिल होते हैं। 

   - उदाहरण: कार्बन (C), नाइट्रोजन (N), ऑक्सीजन (O)


 

iii. d-ब्लॉक तत्व (d-block Elements) 

   - 3 से 12 समूह के तत्व d-ब्लॉक में आते हैं। 

   - इन्हें संक्रमण धातु (Transition Metals) भी कहते हैं। 

   - उदाहरण: लोहा (Fe), तांबा (Cu), निकल (Ni)


 

iv. f-ब्लॉक तत्व (f-block Elements) 

   - ये आवर्त सारणी में नीचे स्थित दो पंक्तियों में आते हैं और इन्हें लैंथेनाइड और एक्टिनाइड श्रृंखलाएँ कहते हैं। 

   - ये जटिल रासायनिक गुणधर्म प्रदर्शित करते हैं। 

   - उदाहरण: यूरेनियम (U), थोरियम (Th)


 

 

 

 


6. आवर्त सारणी के समूह और आवर्त


 

i. समूह (Groups) 

- आधुनिक आवर्त सारणी में 18 समूह होते हैं। 

- प्रत्येक समूह के तत्वों में समान गुणधर्म होते हैं। 

उदाहरण: 

- पहला समूह (Alkali Metals): इनमें सोडियम (Na), पोटैशियम (K) जैसे तत्व होते हैं। ये बहुत क्रियाशील होते हैं। 

- सत्रहवां समूह (Halogens): इसमें क्लोरीन (Cl), फ्लोरीन (F) आदि शामिल हैं। ये प्रतिक्रियाशील अधातु होते हैं। 


 

ii. आवर्त (Periods) 

- आधुनिक आवर्त सारणी में 7 आवर्त होते हैं। 

- आवर्त में तत्वों के गुणधर्म बाएं से दाएं क्रम में बदलते हैं।


 

 

 

 


7. आवर्तीय प्रवृत्तियाँ (Periodic Trends)


 

- आयनीकरण ऊर्जा (Ionization Energy), वैद्युतीय ऋणात्मकता (Electronegativity), परमाणु त्रिज्या (Atomic Radius) और इलेक्ट्रॉन गैणता (Electron Affinity) जैसे गुणधर्मों का विश्लेषण तत्वों की विशेषताओं को समझने में सहायक होता है।


 

 

 

 


8. तत्वों के आवर्ती गुणधर्म (Periodic Properties of Elements)


 

- तत्वों के रासायनिक और भौतिक गुणधर्मों में आवर्त सारणी में उनकी स्थिति के अनुसार नियमितता पाई जाती है। 

- ये गुणधर्म परमाणु संरचना, इलेक्ट्रॉन विन्यास और परमाणु क्रमांक पर निर्भर करते हैं।


 

 

 

 


निष्कर्ष (Conclusion) 

आवर्त सारणी के माध्यम से हम तत्वों के गुणधर्म और रासायनिक व्यवहार को व्यवस्थित रूप से समझ सकते हैं। आवर्तीय प्रवृत्तियों के आधार पर हम तत्वों की प्रकृति, प्रतिक्रियाएँ और उनकी रासायनिक संरचना का अनुमान लगा सकते हैं।


 

 

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