सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME): विस्तृत विवरण [Micro, Small and Medium Enterprises]

 


सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSME): विस्तृत विवरण [Micro, Small and Medium Enterprises]


 

भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (Micro, Small, and Medium Enterprises - MSME) अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये उद्योग रोजगार सृजन, नवाचार और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। MSME क्षेत्र कृषि के बाद देश में सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान करता है और GDP में एक बड़ा योगदान देता है।


 

MSME का अर्थ और परिभाषा

भारत में MSME की परिभाषा भारतीय सरकार के द्वारा दी गई है, जो उद्योग की निवेश और वार्षिक टर्नओवर पर आधारित है। 2020 में, MSME वर्गीकरण को पुनर्परिभाषित किया गया।

 

नई परिभाषा (2020)

उद्योग का प्रकार निवेश (Investment) वार्षिक टर्नओवर (Annual Turnover)
सूक्ष्म (Micro)₹1 करोड़ तक₹5 करोड़ तक
लघु (Small)₹10 करोड़ तक₹50 करोड़ तक
मध्यम (Medium)₹50 करोड़ तक₹250 करोड़ तक

 

MSME का महत्व

1.  रोजगार सृजन (employment generation)

MSME क्षेत्र देश में रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत है, विशेष रूप से गैर-कृषि क्षेत्र में। ये उद्योग शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करते हैं।

2.  ग्रामीण विकास (rural Development)

MSME ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योग और रोजगार सृजित कर उनके विकास में योगदान देते हैं। यह पलायन को रोकने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में सहायक है।

3.  आर्थिक विकास (economic development)

MSME भारत के GDP में लगभग 30% का योगदान करते हैं और निर्यात का 48% हिस्सा प्रदान करते हैं।

4.  उद्यमिता का विकास (development of entrepreneurship)

ये उद्योग छोटे उद्यमियों को नवाचार और उद्यमिता के अवसर प्रदान करते हैं।

5.  सामाजिक समानता (social equality)

MSME क्षेत्र महिलाओं, पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर प्रदान करता है।


 

MSME के प्रकार

1.  सूक्ष्म उद्योग (Micro Enterprises)

o    ये छोटे पैमाने के उद्योग होते हैं, जिनमें बहुत कम पूंजी और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

o    उदाहरण: हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग, छोटे किराना स्टोर।

2.  लघु उद्योग (Small Enterprises)

o    ये मध्यम पैमाने के उद्योग होते हैं, जिनमें थोड़ी अधिक पूंजी निवेश और संसाधनों की जरूरत होती है।

o    उदाहरण: फर्नीचर निर्माण, आइसक्रीम उत्पादन, टेक्सटाइल उद्योग।

3.  मध्यम उद्योग (Medium Enterprises)

o    ये बड़े पैमाने के उद्योगों की तुलना में छोटे होते हैं, लेकिन सूक्ष्म और लघु उद्योगों से बड़े होते हैं।

o    उदाहरण: ऑटोमोबाइल पार्ट्स निर्माण, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद निर्माण।


 

MSME क्षेत्र में चुनौतियाँ

1. वित्तीय समस्या (financial problem)

o    MSME के लिए बैंक से ऋण प्राप्त करना मुश्किल होता है, क्योंकि उनके पास संपत्ति या गारंटी की कमी होती है।

2. तकनीकी पिछड़ापन (technological backwardness)

o    अधिकांश MSME आधुनिक तकनीक और उपकरणों का उपयोग करने में सक्षम नहीं होते हैं।

3. बाजार तक पहुंच की कमी (lack of market access)

o    MSME को अपने उत्पादों को बाजार में बेचने और उपभोक्ताओं तक पहुंचने में दिक्कत होती है।

4. प्रतिस्पर्धा (Competition)

o    बड़े उद्योग और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करना MSME के लिए एक बड़ी चुनौती है।

5. नवाचार और अनुसंधान की कमी (Lack of innovation and research)

o    MSME क्षेत्र में नवाचार और शोध में निवेश की कमी देखी जाती है।


 

MSME के लिए सरकारी योजनाएँ

1.  प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY)

o    इस योजना के तहत छोटे और मध्यम व्यवसायों को 10 लाख रुपये तक का ऋण बिना गारंटी के दिया जाता है।

2.  समग्र विकास योजना (Cluster Development Program)

o    यह योजना MSME को उनके संबंधित क्षेत्रों में विकसित करने और उत्पादकता बढ़ाने के लिए चलाई जाती है।

3.  प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (PMEGP)

o    यह योजना बेरोजगारी कम करने और नए उद्यम स्थापित करने के लिए ऋण और सब्सिडी प्रदान करती है।

4.  सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP)

o    यह कार्यक्रम MSME क्लस्टरों को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने और बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद करता है।

5.  सीजीटीएमएसई (CGTMSE)

o    यह योजना MSME को गारंटी-मुक्त ऋण प्रदान करती है।


 

MSME के लिए सुधार और सुझाव

1. वित्तीय सहायता (financial assistance)

o    MSME को आसानी से ऋण उपलब्ध कराने के लिए सरकार को अधिक सुविधाएँ प्रदान करनी चाहिए।

2. तकनीकी उन्नयन (technological upgradation)

o    MSME के लिए आधुनिक तकनीक और उपकरणों का प्रशिक्षण और वितरण सुनिश्चित करना चाहिए।

3. बाजार उपलब्धता (market availability)

o    MSME उत्पादों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए विशेष प्लेटफॉर्म बनाए जाने चाहिए।

4. नवाचार को बढ़ावा (promote innovation)

o    शोध और नवाचार में निवेश को बढ़ावा देने के लिए विशेष अनुदान और कार्यक्रम शुरू किए जाने चाहिए।

5. कर सुधार (tax reform)

o    MSME को कर संबंधी प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बनाया जाना चाहिए।

6. डिजिटल शिक्षा (digital education)

o    MSME उद्यमियों को डिजिटल मार्केटिंग, ई-कॉमर्स और ऑनलाइन बिक्री के लिए प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।


 

MSME का भविष्य (Future of MSME)

MSME का भविष्य भारत में उज्ज्वल है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रम और सुधार MSME को और सशक्त बना रहे हैं। डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों के तहत MSME को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिल रहा है।


 

निष्कर्ष (Conclusion)

MSME भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इन उद्योगों का विकास न केवल आर्थिक सुधार को गति देता है, बल्कि सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी बढ़ावा देता है। यदि इन उद्योगों को वित्तीय सहायता, तकनीकी उन्नयन, और बाजार तक पहुंच प्रदान की जाए, तो यह न केवल ग्रामीण क्षेत्रों का उत्थान करेगा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक होगा।


 

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