परावर्तन (Reflection) और अपवर्तन (Refraction)

 


परावर्तन (Reflection) और अपवर्तन (Refraction)


 

 


प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)


परिभाषा: 

जब प्रकाश की किरण किसी सतह से टकराकर वापस उसी माध्यम में लौटती है, तो इस प्रक्रिया को परावर्तन (Reflection) कहते हैं।


 

 

 

 

 


परावर्तन के नियम (Laws of Reflection)


 

1. पहला नियम: 

आपतित किरण (Incident Ray), परावर्तित किरण (Reflected Ray) और अभिलंब (Normal) एक ही तल में स्थित होते हैं।

 

2. दूसरा नियम: आपतन कोण ( i ) और परावर्तन कोण ( r ) हमेशा बराबर होते हैं। 

   अर्थात्,

प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) दूसरा नियम


अभ्यास में परावर्तन:

- समतल दर्पण (Plane Mirror): 

  समतल दर्पण में परावर्तन नियमित होता है और इससे बनने वाला प्रतिबिंब वास्तविक आकार का होता है, लेकिन उल्टा (left-right inverted) होता है।

- वक्र दर्पण (Curved Mirrors): 

  वक्र दर्पण दो प्रकार के होते हैं:

1. अवतल दर्पण (Concave Mirror)

2. उत्तल दर्पण (Convex Mirror)

 

 

 

 

 


प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)


 

परिभाषा: 

जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है और उसके मार्ग में बदलाव आता है, तो इसे अपवर्तन (Refraction) कहते हैं। यह तब होता है जब प्रकाश एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में जाता है।


 

अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction):

 

1. पहला नियम (स्नेल का नियम या Snell's Law): 

   आपतन कोण ( i ) और अपवर्तन कोण ( r ) का अनुपात दोनों माध्यमों के अपवर्तनांक के बराबर होता है। 

अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction) पहला नियम (स्नेल का नियम या Snell's Law)

 

 

2. दूसरा नियम: 

   आपतित किरण, अपवर्तित किरण और अभिलंब एक ही तल में स्थित होते हैं।


 

अपवर्तन का प्रयोग:

- जल में चम्मच का टेढ़ा दिखना: जब आप एक चम्मच को पानी में डालते हैं, तो वह टेढ़ा दिखता है क्योंकि प्रकाश की किरणें हवा से पानी में जाते समय अपवर्तित होती हैं।

- लेंस का कार्य: अपवर्तन लेंसों में प्रकाश को मोड़ने और फोकस करने का काम करता है।


 

 

 

 

 

दर्पणों के गुण (Properties of Mirrors)

 


समतल दर्पण (Plane Mirror)


 

परिभाषा:

समतल दर्पण (Plane Mirror) वह दर्पण होता है जिसकी परावर्तक सतह सपाट (एकदम सीधी और चिकनी) होती है। इसमें जब प्रकाश की किरणें गिरती हैं, तो वे समान दिशा में परावर्तित होती हैं।


 

विशेषताएँ:

   - समतल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिंब (Image) वस्तु के आकार के बराबर होता है। प्रतिबिंब का आकार न बड़ा होता है और न ही छोटा।

   - समतल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिंब आभासी (Virtual) और सीधा (Erect) होता है।

  • आभासी का मतलब है कि यह प्रतिबिंब दर्पण के पीछे बनता हुआ दिखता है, लेकिन वास्तव में वहाँ कोई प्रकाश किरणों का मिलना नहीं होता है।
  • प्रतिबिंब उल्टा (left-right inverted) होता है, यानी दाएं और बाएं का स्थान परिवर्तित हो जाता है।

- दूरी समान होती है - प्रतिबिंब की दूरी दर्पण से जितनी होती है, वस्तु की दूरी भी उतनी ही होती है।
उदाहरण के लिए, यदि कोई वस्तु दर्पण से 2 मीटर की दूरी पर रखी है, तो उसका प्रतिबिंब भी दर्पण के पीछे 2 मीटर पर दिखाई देगा।


 

उपयोग:

-  समतल दर्पण का मुख्य उपयोग घरों में सजावट और रोज़मर्रा के उपयोग, जैसे शेविंग, बाल संवारने आदि में किया जाता है। इसके अलावा यह सार्वजनिक स्थानों पर भी दिखता है।

-   यह दर्पण वस्त्र, गहने, या अन्य वस्तुओं को दिखाने के लिए उपयोग में लाया जाता है ताकि ग्राहक उन्हें पहनकर देख सकें।


 

 

 

 

 


अवतल दर्पण (Concave Mirror)


 

अवतल दर्पण की परिभाषा:

एक ऐसा वक्रित दर्पण जिसकी परावर्तक सतह भीतर की ओर (अंदर की ओर) घुमी हुई होती है, उसे अवतल दर्पण कहते हैं। 

इसे अभिसारी दर्पण (Converging Mirror) भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकाश की किरणों को एक बिंदु पर एकत्रित करता है।


 

अवतल दर्पण की विशेषताएँ:

- जब समानांतर प्रकाश की किरणें अवतल दर्पण पर गिरती हैं, तो वे परावर्तित होकर फोकस बिंदु (Focus Point) पर मिलती हैं।

- यह फोकस पर आने वाली सभी किरणों को समेटता है।

- इसका उपयोग परावर्तन करके बड़ा और वास्तविक (या आभासी) प्रतिबिंब बनाने में होता है।

- उपयोग: अवतल दर्पण का उपयोग टॉर्च, सौर फर्नेस, कार के हेडलाइट, और शेविंग मिरर में किया जाता है क्योंकि यह बिंब को बड़ा कर दिखाता है।


  

 

 

 

 


उत्तल दर्पण (Convex Mirror)


 

उत्तल दर्पण की परिभाषा:

एक ऐसा वक्रित दर्पण जिसकी परावर्तक सतह बाहर की ओर (बाहरी सतह) घुमी हुई होती है, उसे उत्तल दर्पण कहते हैं। 

इसे विचलनकारी दर्पण (Diverging Mirror) भी कहा जाता है क्योंकि यह प्रकाश की किरणों को दूर-दूर फैलाता है।


 

उत्तल दर्पण की विशेषताएँ:

- जब समानांतर प्रकाश की किरणें उत्तल दर्पण पर गिरती हैं, तो वे परावर्तित होकर बाहर की ओर बिखरती हैं और ऐसा लगता है कि वे एक बिंदु से (वास्तविक रूप में नहीं, बल्कि आभासी रूप से) आ रही हैं।

- उत्तल दर्पण में बनने वाला प्रतिबिंब हमेशा छोटा, सीधा और आभासी होता है।

- यह किरणों को दूर फैलाता है।

- उपयोग: इसका उपयोग वाहनों के साइड मिरर और सुरक्षा मिरर में किया जाता है क्योंकि यह बड़े क्षेत्र को कवर करता है और दूर की चीज़ें भी दिखाता है।


  

 

 

 

 

लेंस और उनके गुण (Properties of Lenses)

 


उत्तल लेंस (Convex Lens)


   - इसे अभिसारी लेंस (Converging Lens) भी कहा जाता है।

   - यह प्रकाश की किरणों को केंद्र बिंदु पर एकत्र करता है।

   - इसका उपयोग आवर्धक कांच (magnifying glass), कैमरा लेंस, चश्मा आदि में होता है।

   - उत्तल लेंस (Convex Lens) में, फोकस बिंदु वह स्थान है जहाँ समानांतर प्रकाश किरणें एकत्रित होती हैं।


 

 

 

 

 


अवतल लेंस (Concave Lens)


   - इसे विचलन करने वाला लेंस (Diverging Lens) भी कहते हैं।

   - यह किरणों को अलग-अलग दिशा में मोड़ता है।

   - इसका उपयोग दूरबीन और कुछ प्रकार के चश्मों में किया जाता है।

   - अवतल लेंस (Concave Lens) में, फोकस बिंदु वह बिंदु होता है जहाँ समानांतर किरणें बिखरने के बाद मिलती हुई प्रतीत होती हैं।

लेंस का सूत्र (Lens Formula)

 

वर्धन (Magnification Formula) का सूत्र


 

 

 

 

 


उपयोग और जीवन में महत्व


 

- दर्पण और लेंस का उपयोग विभिन्न उपकरणों, जैसे चश्मा, माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप, कैमरा, और वाहनों के दर्पणों में किया जाता है।

- परावर्तन और अपवर्तन के सिद्धांतों का उपयोग ऑप्टिकल उपकरणों और प्रकाशीय फाइबर के माध्यम से दूरसंचार में भी होता है।


 

 

 

 

अतिरिक्त बिंदु:

 


परावर्तन और अपवर्तन के विभिन्न प्रकार


   - विनियमित परावर्तन (Regular Reflection): 

     जब प्रकाश की किरणें एक चिकनी सतह (जैसे दर्पण) से परावर्तित होती हैं और समान दिशा में जाती हैं, इसे विनियमित परावर्तन कहते हैं।


   - विकृत परावर्तन (Diffuse Reflection): 

     जब प्रकाश की किरणें खुरदरी सतह (जैसे दीवार) से परावर्तित होती हैं और विभिन्न दिशाओं में बिखरती हैं, इसे विकृत परावर्तन कहते हैं।


 

 

 

 

 


प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Reflection)


   - जब प्रकाश की किरण एक अधिक अपवर्तनांक वाले माध्यम से कम अपवर्तनांक वाले माध्यम में प्रवेश करती है और आपतन कोण एक विशेष सीमा (\(\theta_c\)) से बड़ा हो जाता है, तो वह पूर्ण रूप से परावर्तित हो जाती है। इसे पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।

   - उदाहरण: 

     - प्रकाशीय फाइबर (Optical Fibers) में सूचना का संचार।

     - जलाशय के नीचे से सतह पर चमकता हुआ पानी।


 

 

 

 

  


लेंस का ऑप्टिकल केंद्र (Optical Centre)


   - लेंस के मध्य का वह बिंदु, जिसके माध्यम से जाने वाली किरण अपनी दिशा में बिना किसी अपवर्तन के पार होती है।


 

 

 

 

 


फोकस बिंदु (Focus Point)


   - अवतल और उत्तल लेंसों में: 

     - उत्तल लेंस (Convex Lens) में, फोकस बिंदु वह स्थान है जहाँ समानांतर प्रकाश किरणें एकत्रित होती हैं।

     - अवतल लेंस (Concave Lens) में, फोकस बिंदु वह बिंदु होता है जहाँ समानांतर किरणें बिखरने के बाद मिलती हुई प्रतीत होती हैं।


 

 

 

 

 


लेंस और दर्पण के लिए संकेत समझौता (Sign Convention)


   - दर्पण और लेंसों के लिए संकेत नियमों का उपयोग करते समय यह ध्यान में रखना होता है कि वस्तु, प्रतिबिंब और फोकस बिंदु की दूरी को कैसे मापा जाए। यह गणनाओं को आसान बनाने के लिए है।

     - वस्तु की दिशा हमेशा धनात्मक होती है।

     - फोकल लंबाई (Focal Length) और प्रतिबिंब की स्थिति धनात्मक या ऋणात्मक हो सकती है, यह उनकी दिशा पर निर्भर करता है।


 

 

 

 

 


विभिन्न प्रकार के लेंसों का उपयोग


   - माइक्रोस्कोप और दूरबीन में: लेंस प्रकाश को केंद्रित कर बढ़े हुए प्रतिबिंब उत्पन्न करते हैं।

   - चश्मे में: अपवर्तन की विशेषता का उपयोग करके दृष्टि दोष को ठीक किया जाता है (जैसे निकट दृष्टि दोष और दूर दृष्टि दोष)


 

 

 

सारांश:

- हमने परावर्तन, अपवर्तन, दर्पणों और लेंसों से जुड़े सभी प्रमुख नियम, गुण और सिद्धांत कवर कर लिए हैं।

- हमने प्रकाश के विभिन्न प्रकार के परावर्तन और अपवर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन और लेंस के ऑप्टिकल गुणों को भी समझा।

- संकेत समझौता और प्रकाश का व्यवहार समझने के लिए इसे और गहराई से पढ़ने की आवश्यकता है, जैसे जब यह विभिन्न सतहों और माध्यमों से गुजरता है।


 

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