क्रेडिट और मुद्रा की भूमिका (Role of Credit and Money)

 


क्रेडिट और मुद्रा की भूमिका (Role of Credit and Money)


क्रेडिट (ऋण) और मुद्रा (Money) आधुनिक आर्थिक प्रणाली के प्रमुख घटक हैं। ये दोनों किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आइए इन दोनों की भूमिका और उनके महत्व को विस्तार से समझें।


 

 

 

 

 


मुद्रा (Money) की परिभाषा और प्रकार


मुद्रा वह माध्यम है जिसके द्वारा वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान किया जाता है। यह किसी भी आर्थिक प्रणाली की रीढ़ है।

 

मुद्रा के प्रकार

1.  वस्तु मुद्रा (Commodity Money):
पहले समय में वस्त्र, अनाज, सोना-चांदी मुद्रा के रूप में उपयोग किए जाते थे।

2.  धातु मुद्रा (Metal Money):
सोने और चांदी के सिक्कों का प्रयोग।

3.  कागजी मुद्रा (Paper Money):
वर्तमान में उपयोग में आने वाले नोट।

4.  डिजिटल मुद्रा (Digital Money):
ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक माध्यम जैसे क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, और डिजिटल वॉलेट।

 

मुद्रा के कार्य

1.  मूल्य मापन का साधन (Measure of Value):
मुद्रा किसी वस्तु या सेवा के मूल्य को मापने का एक साधन है।

2.  विनिमय का माध्यम (Medium of Exchange):
मुद्रा से वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान आसान होता है।

3.  संपत्ति का संग्रह (Store of Value):
मुद्रा को भविष्य में उपयोग के लिए संरक्षित किया जा सकता है।

4.  ऋण भुगतान का साधन (Standard of Deferred Payment):
मुद्रा के माध्यम से उधार लिया गया धन चुकाया जा सकता है।


 

 

 

 


क्रेडिट (ऋण) की परिभाषा और महत्व


क्रेडिट का अर्थ है वह धनराशि, जिसे उधार लिया जाता है और बाद में चुकाया जाता है। यह आधुनिक आर्थिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

 

क्रेडिट के प्रकार

1.  उपभोग ऋण (Consumer Credit):
यह ऋण व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लेते हैं, जैसे व्यक्तिगत ऋण।

2.  उत्पादक ऋण (Productive Credit):
यह व्यवसाय और उद्योगों के लिए लिया जाता है।

3.  संस्थागत ऋण (Institutional Credit):
बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला ऋण।

4.  गैर-संस्थागत ऋण (Non-Institutional Credit):
साहूकारों और मित्रों से लिया जाने वाला ऋण।

 

क्रेडिट के उपयोग

1.  आर्थिक विकास:
क्रेडिट का उपयोग उत्पादन और सेवाओं को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

2.  निवेश:
नए उद्योगों और तकनीकी परियोजनाओं में निवेश के लिए।

3.  व्यक्तिगत उपयोग:
मकान, वाहन, और शिक्षा के लिए ऋण का उपयोग।


 

 

 

 

 


मुद्रा और क्रेडिट की भूमिका


1. उत्पादन और व्यापार में योगदान

मुद्रा और क्रेडिट व्यापार को सुगम बनाते हैं। व्यापारी माल खरीदने और बेचने के लिए मुद्रा और क्रेडिट का उपयोग करते हैं।

2. बचत और निवेश को प्रोत्साहन

मुद्रा का उपयोग बचत के रूप में किया जा सकता है। बचत को बैंक में जमा करने पर ब्याज प्राप्त होता है, जिससे निवेश को प्रोत्साहन मिलता है।

3. आर्थिक स्थिरता

मुद्रा और क्रेडिट के सही प्रबंधन से देश की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित होती है।

4. रोजगार सृजन

क्रेडिट की सहायता से उद्योग स्थापित किए जाते हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं।

5. कृषि क्षेत्र में योगदान

किसानों को बीज, खाद, और उपकरण खरीदने के लिए ऋण दिया जाता है, जिससे कृषि उत्पादन बढ़ता है।

6. बुनियादी ढाँचे का विकास

क्रेडिट का उपयोग सड़कों, पुलों, और अन्य बुनियादी ढाँचों के निर्माण में किया जाता है।

7. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भूमिका

मुद्रा और क्रेडिट के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संभव होता है। विदेशी मुद्रा विनिमय में मुद्रा की भूमिका प्रमुख होती है।


 

 

 

 

 


मुद्रा और क्रेडिट की चुनौतियाँ


मुद्रा संबंधी चुनौतियाँ

1.  मुद्रास्फीति (Inflation):
मुद्रा का अधिक संचलन वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ा सकता है।

2.  मुद्रा का अवमूल्यन (Devaluation):
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मुद्रा का मूल्य घट सकता है।

3.  अर्थव्यवस्था में असंतुलन:
मुद्रा के अनुचित प्रबंधन से असंतुलन हो सकता है।

क्रेडिट संबंधी चुनौतियाँ

1.  ऋण न चुकाने की समस्या (Non-Performing Assets - NPA):
जब उधारकर्ता ऋण नहीं चुका पाते, तो यह बैंकों के लिए समस्या बनता है।

2.  अत्यधिक ऋण का बोझ:
अधिक ऋण लेने से उधारकर्ता पर बोझ बढ़ता है।

3.  अत्यधिक ब्याज दरें:
गैर-संस्थागत ऋणदाता अक्सर अत्यधिक ब्याज दरों पर ऋण प्रदान करते हैं।


 

 

 

 

 


समाधान और सुधार


1. मुद्रा का नियंत्रित प्रबंधन:
भारतीय रिज़र्व बैंक को मुद्रा की आपूर्ति और माँग के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए।

2. क्रेडिट वितरण में सुधार:
ऋण को जरूरतमंद क्षेत्रों, जैसे कृषि और लघु उद्योगों, में प्राथमिकता से वितरित किया जाना चाहिए।

3. डिजिटल मुद्रा का उपयोग:
डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना चाहिए, जिससे नकदी पर निर्भरता कम हो।

4. ऋण वसूली प्रणाली:
बैंकों को ऋण वसूली के लिए सख्त नियम अपनाने चाहिए।


 

निष्कर्ष (Conclusion)

मुद्रा और क्रेडिट भारतीय अर्थव्यवस्था की गति को संचालित करने वाले दो महत्वपूर्ण तत्व हैं। मुद्रा के बिना लेन-देन असंभव है, और क्रेडिट आर्थिक विकास का आधार बनता है। इनका सही और कुशल प्रबंधन देश की आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए अनिवार्य है।


 

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