जल संसाधन (Water Resources)

 


जल संसाधन (Water Resources)


 

जल संसाधन पृथ्वी पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का सबसे महत्वपूर्ण और मूल्यवान हिस्सा हैं। जल जीवन के लिए अनिवार्य है और इसका उपयोग पीने, सिंचाई, बिजली उत्पादन, उद्योग, और घरेलू कार्यों में किया जाता है। भारत में जल संसाधन कृषि और जीवन यापन के लिए प्रमुख भूमिका निभाते हैं।


 

 

 

 

 


जल संसाधनों के प्रकार (Types of Water Resources)


 

1. सतही जल (Surface Water):

  • नदियाँ, झीलें, तालाब, और जलाशय।
  • उपयोग: सिंचाई, जल विद्युत, मछली पालन।
    उदाहरण: गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा।

 

2. भूमिगत जल (Groundwater):

  • कुएँ, ट्यूबवेल, और भूजल भंडार।
  • उपयोग: पीने का पानी, कृषि, और औद्योगिक कार्य।

 

3. वर्षा जल (Rainwater):

  • प्राकृतिक जल स्रोत।
  • उपयोग: जल संचयन और कृषि।

 

 

 

 

 


भारत में जल संसाधन (Water Resources in India)


 

प्रमुख नदियाँ (major rivers):

  • हिमालयी नदियाँ: गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु।
  • दक्षिण भारतीय नदियाँ: गोदावरी, कृष्णा, कावेरी।
  • पश्चिमी नदियाँ: नर्मदा, तापी।

 

झीलें और जलाशय (Lakes and Reservoirs):

  • डल झील (जम्मू-कश्मीर), चिल्का झील (ओडिशा)।
  • जलाशय: भाखड़ा-नांगल, नागार्जुन सागर।

 

भूमिगत जल (Ground Water):

  • भारत में कृषि और पीने के लिए भूमिगत जल का अधिक उपयोग।
  • भूजल स्तर में गिरावट एक प्रमुख चिंता है।

 

वर्षा जल (Rain Water):

  • भारत में मानसून पर जल की आपूर्ति निर्भर।
  • औसत वर्षा: लगभग 1,100 मिमी।

 

 

 

 

 


जल संसाधनों का महत्व (Importance of Water Resources)


 

1. कृषि में उपयोग (use in agriculture):

o    सिंचाई के लिए आवश्यक।

o    भारत की अर्थव्यवस्था का आधार।


 

2. पीने और घरेलू उपयोग (drinking and household use):

o    मानव और पशु जीवन के लिए अनिवार्य।

o    सफाई और स्वच्छता के लिए जल आवश्यक।


 

3. उद्योग और बिजली उत्पादन (Industry and power generation):

o    जल विद्युत का प्रमुख स्रोत।

o    औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग।


 

4. पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र (Environment and Ecosystem):

o    जल से झीलें, नदियाँ और समुद्रों का अस्तित्व।

o    जैव विविधता का संरक्षण।


 

 

 

 

 


चुनौतियाँ (Challenges)


 

1. जल प्रदूषण (Water Pollution):

o    औद्योगिक कचरा, घरेलू अपशिष्ट, और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

 

2. जल की बर्बादी (Wastage of Water):

o    उचित प्रबंधन की कमी।

 

3. असमान वितरण (Uneven Distribution):

o    कुछ क्षेत्रों में अधिक वर्षा, कुछ में सूखा।

 

4. भूजल स्तर में गिरावट (decline in ground water level):

o    अत्यधिक दोहन से समस्या।

 

5. जलवायु परिवर्तन (Climate change):

o    बाढ़ और सूखे की घटनाएँ बढ़ रही हैं।


 

 

 

 

 


संरक्षण के उपाय (Measures for Conservation)


 

1. जल संचयन (Rainwater Harvesting):

o    वर्षा जल का संग्रहण और उपयोग।

 

2. जल उपयोग में कुशलता (water use efficiency):

o    सिंचाई में आधुनिक तकनीकों का उपयोग।

o    औद्योगिक प्रक्रियाओं में जल की बचत।

 

3. पुनर्चक्रण (Recycling):

o    घरेलू और औद्योगिक जल का पुनः उपयोग।

 

4. जागरूकता अभियान (awareness campaign):

o    जल संरक्षण के महत्व पर जन जागरूकता।

 

5. सरकारी नीतियाँ और योजनाएँ (Government Policies and Schemes):

o    नदियों को जोड़ने की परियोजना।

o    जल स्रोतों की सफाई।


 

निष्कर्ष (Conclusion)

जल संसाधन मानव और पर्यावरण के लिए अपरिहार्य हैं। इनका संरक्षण और सतत उपयोग न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी आवश्यक है। जल का विवेकपूर्ण उपयोग और प्रबंधन सभी की जिम्मेदारी है।


 

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