उपसर्ग और प्रत्यय (Prefix and Suffix)
उपसर्ग और प्रत्यय (Prefix and Suffix)
उपसर्ग और प्रत्यय हिंदी व्याकरण के दो महत्वपूर्ण अंग हैं, जो शब्द निर्माण में सहायक होते हैं। इनके माध्यम से शब्दों का अर्थ, स्वरूप, और व्यावहारिकता बदली जा सकती है।
उपसर्ग (Prefix)
परिभाषा
"वे शब्दांश या अक्षर जो किसी मूल शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन या विस्तार करते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं।"
उदाहरण:
- सु + कर्म → सुकर्म (अच्छा कर्म)
- दु + चरित्र → दुश्चरित्र (खराब चरित्र)
- प्र + प्रवेश → प्रवेश (अंदर आना)
उपसर्ग के प्रकार
1. संस्कृत के उपसर्ग:
संस्कृत भाषा से लिए गए 20 प्रमुख उपसर्ग हैं।
उदाहरण:
- प्र: प्रारंभ (शुरुआत)
- अति: अतिक्रम (सीमा पार करना)
- संग: संगम (मिलना)
2. हिंदी के उपसर्ग:
हिंदी में प्रचलित शब्दांश जो उपसर्ग का काम करते हैं।
उदाहरण:
- बिना: बिना काम (कार्य नहीं)
- हर: हरदिल (सबका दिल)
- दर: दरबदर (एक जगह से दूसरी जगह जाना)
3. विदेशी भाषा के उपसर्ग:
हिंदी में उर्दू, फारसी और अंग्रेज़ी से लिए
गए उपसर्ग।
उदाहरण:
- अल: अलविदा (विदा करना)
- बे: बेकाम (जिसका काम न हो)
- मिस: मिसमैच (गलत मेल)
उपसर्ग के उपयोग के लाभ
1. अर्थ विस्तार:
शब्द का अर्थ व्यापक या विशेष बनता है।
o सु + मित्र → सुमित्र (अच्छा मित्र)
2. सृजनात्मकता:
नए शब्द बनाने में मदद करता है।
o प्र + नाम → प्रनाम (सत्कार)
3. शब्दों की सुंदरता:
साहित्य और भाषा में आकर्षण लाता है।
प्रत्यय (Suffix)
परिभाषा
"वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ, रूप, या व्याकरणीय गुण को बदल देते हैं, उन्हें प्रत्यय कहते हैं।"
उदाहरण:
- पढ़ + आक → पढ़ाकू (जो पढ़ने में रुचि रखता हो)
- सुंदर + ता → सुंदरता (सुंदर होने का गुण)
- खेल + ना → खेलना (खेलने की क्रिया)
प्रत्यय के प्रकार
1. संस्कृत के प्रत्यय:
संस्कृत भाषा से लिए गए प्रत्यय।
उदाहरण:
- ता: सुंदर + ता → सुंदरता
- त्व: मित्र + त्व → मित्रत्व
2. हिंदी के प्रत्यय:
हिंदी में प्रचलित प्रत्यय।
उदाहरण:
- पन: वीर + पन → वीरपन
- आलु: गुण + आलु → गुणालु
3. विदेशी भाषा के प्रत्यय:
फारसी, उर्दू, अंग्रेज़ी
आदि से लिए गए प्रत्यय।
उदाहरण:
- दान: इल्म + दान → इल्मदान (ज्ञान रखने वाला)
- फुल: ब्यूटी + फुल → ब्यूटीफुल (सुंदर)
प्रत्यय के प्रकार के अनुसार उपयोग
प्रत्यय का प्रकार | उदाहरण | शब्द का अर्थ |
---|---|---|
संज्ञा प्रत्यय | लड़कपन, बालकपन | (किसी गुण को व्यक्त करना) |
विशेषण प्रत्यय | दुखद, सुंदरता | (गुण, विशेषता को दर्शाना) |
क्रिया प्रत्यय | पढ़ना, लिखना | (क्रिया का बोध) |
उपसर्ग और प्रत्यय में अंतर
विशेषता | उपसर्ग | प्रत्यय |
---|---|---|
स्थान | शब्द के प्रारंभ में | शब्द के अंत में |
उदाहरण | सु + कर्म → सुकर्म | सुंदर + ता → सुंदरता |
अर्थ पर प्रभाव | अर्थ में परिवर्तन करता है। | अर्थ और व्याकरण में परिवर्तन करता है। |
उपसर्ग और प्रत्यय के अन्य उदाहरण
उपसर्ग:
- नि + गमन → निगमन (प्रस्थान)
- अनु + ग्रह → अनुग्रह (कृपा)
- प्रति + दिन → प्रतिदिन (हर दिन)
प्रत्यय:
- खेल + कूद → खेलकूद (क्रिया)
- योग + युक्ति → योगयुक्ति (संज्ञा)
- बड़ा + ई → बड़ाई (गुण)
उपसर्ग और प्रत्यय का महत्व
1. भाषा को समृद्ध बनाना:
उपसर्ग और प्रत्यय के प्रयोग से नए शब्द बनते हैं, जो भाषा को समृद्ध बनाते हैं।
2. अर्थ की विविधता:
एक ही मूल शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय जोड़ने से अर्थ बदल जाता है।
o कर्म → सुकर्म, अकर्म, निष्कर्म
3. साहित्यिक उपयोग:
कविताओं और साहित्य में नए शब्दों का प्रयोग भाषा को रोचक बनाता है।
संक्षेप में
उपसर्ग
शब्द के प्रारंभ में जुड़ता है और उसके अर्थ में परिवर्तन करता है।
प्रत्यय शब्द के अंत में जुड़ता है और
उसके अर्थ, रूप या व्याकरणीय गुण को बदल देता है।
अगर आप किसी विशेष उपसर्ग या प्रत्यय के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो कृप्या कमेण्ट करके बताइए!
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