जन्तुओं में नियन्त्रण और समन्वय (Control and Coordination in Animals)

 


 जन्तुओं में नियन्त्रण और समन्वय (Control and Coordination in Animals)


 

जन्तुओं में नियन्त्रण और समन्वय (Control and Coordination) जीवित प्रणालियों की वह प्रक्रिया है, जिसमें शरीर के विभिन्न अंगों और तंत्रों के बीच संवाद स्थापित किया जाता है ताकि विभिन्न शारीरिक कार्य सुचारू रूप से चल सकें। यह शरीर के समग्र कार्यों को समन्वित करता है, जिससे शरीर अपने परिवेश के अनुसार उचित प्रतिक्रिया दे सके। जन्तुओं में नियन्त्रण और समन्वय का कार्य नर्वस सिस्टम (Nervous System) और एंडोक्राइन सिस्टम (Endocrine System) के द्वारा किया जाता है।


 

 

 

 

 

 


नर्वस सिस्टम (Nervous System)


 

नर्वस सिस्टम शरीर के अंगों और मस्तिष्क के बीच संदेश भेजने का कार्य करता है। यह तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) द्वारा संचालित होता है और त्वरित प्रतिक्रियाओं और नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होता है। नर्वस सिस्टम का मुख्य कार्य शरीर में विभिन्न उत्तेजनाओं का पता लगाना और उनका उत्तर देना होता है।

नर्वस सिस्टम के प्रमुख तत्व:

·         न्यूरॉन्स:

o    ये तंत्रिका कोशिकाएं होती हैं, जो विद्युत और रासायनिक संकेतों के माध्यम से संदेश भेजती हैं। एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संदेश पहुँचाने के लिए सिनैप्स (Synapse) का प्रयोग होता है।

 

·         सेंसर:

o    शरीर के बाहरी और आंतरिक परिवर्तनों का पता लगाने वाले अंग, जैसे त्वचा, आंखें, कान आदि।

 

·         मस्तिष्क (Brain):

o    यह तंत्रिका तंत्र का मुख्य नियंत्रण केंद्र है, जो सभी उत्तेजनाओं और प्रतिक्रियाओं को समन्वित करता है।

 

·         रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord):

o    यह मस्तिष्क और शरीर के विभिन्न भागों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करता है। यह तंत्रिका तंत्र का एक हिस्सा है, जो शरीर के नीचे के हिस्सों से मस्तिष्क तक संदेश भेजने का कार्य करता है।

 

नर्वस सिस्टम के कार्य:

·         तत्काल प्रतिक्रिया:

o    मस्तिष्क को त्वरित संदेश भेजना और त्वरित प्रतिक्रिया उत्पन्न करना।

·         संचालन:

o    शरीर के अंगों के बीच सहक्रियात्मक कार्य (जैसे मांसपेशियों का संकुचन और आराम) को नियंत्रित करना।


 

 

 

 

 

 


एंडोक्राइन सिस्टम (Endocrine System)


 

एंडोक्राइन सिस्टम में हॉर्मोन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। ये रासायनिक संदेशवाहक शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचकर शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये हॉर्मोन शरीर की दीर्घकालिक प्रतिक्रियाओं और समन्वय में सहायक होते हैं, जैसे विकास, प्रजनन, मेटाबोलिज्म आदि।

एंडोक्राइन सिस्टम के प्रमुख तत्व:

·         एंडोक्राइन ग्रंथियाँ:

o    ये ग्रंथियाँ हॉर्मोन का स्राव करती हैं, जैसे पिट्यूटरी ग्रंथि, थाइरोइड ग्रंथि, अंडकोष और अंडाशय।

·         हॉर्मोन:

o    ये शरीर के भीतर रासायनिक संदेशवाहक होते हैं, जो विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। जैसे इंसुलिन, टेस्टोस्टेरोन, एस्ट्रोजन आदि।

 

एंडोक्राइन सिस्टम के कार्य:

·         दीर्घकालिक समन्वय:

o    एंडोक्राइन सिस्टम शरीर की दीर्घकालिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करता है, जैसे वृद्धि, प्रजनन, मेटाबोलिज्म और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण कार्य।

·         प्रतिक्रिया और संतुलन:

o    यह हार्मोनल सिग्नल्स के माध्यम से शरीर के विभिन्न अंगों के कार्यों को संतुलित और समन्वित करता है।

 

 

 

 

 

 

 


नियन्त्रण और समन्वय की प्रक्रिया


 

नियन्त्रण और समन्वय की प्रक्रिया मुख्य रूप से दो तरीकों से होती है:

 

(i) नर्वस प्रतिक्रिया (Nervous Response):

यह प्रतिक्रिया त्वरित होती है और इसमें न्यूरॉन्स का कार्य होता है। जब कोई उत्तेजना (जैसे तापमान, प्रकाश या ध्वनि) शरीर के अंगों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन करती है, तो यह संदेश तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है। मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी उस उत्तेजना के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए, जब शरीर में अत्यधिक गर्मी होती है, तो पसीने का उत्पादन बढ़ जाता है।

 

(ii) हॉर्मोनल प्रतिक्रिया (Hormonal Response):

यह प्रतिक्रिया धीमी होती है, लेकिन यह दीर्घकालिक प्रभाव उत्पन्न करती है। हॉर्मोन शरीर में रक्त के माध्यम से प्रवाहित होते हैं और विभिन्न अंगों पर कार्य करते हैं। उदाहरण के लिए, विकास हार्मोन बच्चों में शारीरिक वृद्धि को बढ़ावा देता है, और एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन प्रजनन के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।


 

 

 

 

 

 


नियन्त्रण और समन्वय के उदाहरण


 

·         तापमान नियंत्रण:

o    शरीर तापमान का संतुलन बनाए रखने के लिए तंत्रिका तंत्र और हॉर्मोन दोनों का उपयोग करता है। जब शरीर का तापमान बढ़ता है, तो तंत्रिका तंत्र पसीने का स्राव बढ़ाने का संकेत भेजता है। इसके साथ ही, हॉर्मोन भी पसीने के उत्पादन को नियंत्रित करने में भूमिका निभाते हैं।

·         प्रजनन:

o    प्रजनन प्रणाली का समन्वय एंडोक्राइन सिस्टम द्वारा किया जाता है। महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन अंडाणु के विकास और गर्भधारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन यौन विशेषताओं के विकास को नियंत्रित करता है।

·         चेतावनी प्रणाली (Fight or Flight Response):

o    जब शरीर को किसी खतरे का सामना होता है (जैसे डर या संकट), तो एड्रेनालिन (अधिवृक्क ग्रंथि से स्रावित) शरीर की प्रतिक्रिया को तेज करता है, जिससे मांसपेशियों में शक्ति आती है और त्वरित निर्णय लिया जा सकता है।


 

 

 

 

 

 

 


नियन्त्रण और समन्वय की महत्ता


 

नियन्त्रण और समन्वय जन्तुओं के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि:

·         यह शरीर को बाहरी और आंतरिक वातावरण में परिवर्तन के अनुसार समायोजित करने की क्षमता प्रदान करता है।

·         यह विभिन्न अंगों और तंत्रों के बीच संबंध स्थापित करता है, जिससे शरीर की कार्यप्रणाली का संचालन सही तरीके से होता है।

·         शरीर के विभिन्न कार्यों का समन्वय करना शरीर के स्वास्थ्य और अस्तित्व को सुनिश्चित करता है।


 

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

जन्तुओं में नियन्त्रण और समन्वय शरीर के हर अंग और तंत्र के बीच जटिल संवाद स्थापित करता है, जो जीवन की हर प्रक्रिया को नियंत्रित और संतुलित करता है। नर्वस सिस्टम और एंडोक्राइन सिस्टम दोनों मिलकर शरीर की कार्यप्रणाली को सुचारू रूप से चलाते हैं। इन प्रणालियों के सही तरीके से कार्य करने से जन्तु अपने परिवेश के अनुरूप प्रतिक्रिया देने और विभिन्न शारीरिक क्रियाओं को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं।


 

 

 

 

 

 

यहाँ "जन्तुओं में नियंत्रण और समन्वय" (Control and Coordination in Animals) विषय पर आधारित 20 लंबे प्रश्नों और उनके उत्तर दिए गए हैं।


 

1. नियंत्रण और समन्वय से आप क्या समझते हैं? जन्तुओं में इनकी आवश्यकता क्यों होती है?

उत्तर:
नियंत्रण और समन्वय वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा शरीर की विभिन्न गतिविधियों को संतुलित और समायोजित किया जाता है। जन्तुओं में यह आवश्यक है क्योंकि वे बाहरी परिवेश में परिवर्तन के अनुसार प्रतिक्रिया देते हैं, जैसेतेज प्रकाश, ध्वनि, तापमान आदि।


 

2. जन्तुओं में नियंत्रण और समन्वय के दो प्रमुख तंत्र कौन-कौन से हैं?

उत्तर:

   i.      तंत्रिका तंत्र (Nervous System)

  ii.      अंत:स्रावी तंत्र (Endocrine System)
ये दोनों मिलकर शरीर में सूचना का आदान-प्रदान और प्रतिक्रियाएँ सुनिश्चित करते हैं।


 

3. मानव मस्तिष्क के प्रमुख भागों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:
मानव मस्तिष्क के तीन प्रमुख भाग होते हैं:

   i.      मस्तिष्क अग्रभाग (Forebrain)सोच, स्मृति, निर्णय

  ii.      मध्य मस्तिष्क (Midbrain)दृश्य व श्रव्य प्रतिबिंब

iii.      पश्च मस्तिष्क (Hindbrain)संतुलन, गति व जीवन क्रियाएँ


 

4. तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना और कार्य समझाइए।

उत्तर:
न्यूरॉन तीन भागों से मिलकर बना होता है:

  • सेल बॉडी
  • डेंड्राइट्स
  • एक्सॉन
    यह विद्युत-संकेतो को उत्पन्न और संचरित करता है। ये मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच संचार स्थापित करते हैं।

 

5. स्नायु तंत्र और अंत:स्रावी तंत्र में क्या अंतर है?

उत्तर:

आधार स्नायु तंत्र अंत:स्रावी तंत्र
संचार माध्यमविद्युत संकेतरासायनिक हॉर्मोन
प्रतिक्रिया गतितीव्रधीमी
प्रभावअल्पकालिकदीर्घकालिक
नियंत्रणविशिष्ट अंगलक्ष्य कोशिकाएं

 

6. मस्तिष्क की सुरक्षा के कौन-कौन से उपाय होते हैं?

उत्तर:
मस्तिष्क की सुरक्षा के लिए:

  • खोपड़ी (Skull)
  • त्रिस्तरीय झिल्ली (Meninges)
  • सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड (CSF)
    ये सभी मस्तिष्क को आघात, झटके और संक्रमण से बचाते हैं।

 

7. सिंपैथेटिक और पैरासिंपैथेटिक तंत्र में क्या अंतर है?

उत्तर:
सिंपैथेटिक तंत्र शरीर को सतर्कअवस्था में लाता है (जैसे दिल की गति तेज करना), जबकि पैरासिंपैथेटिक तंत्र आरामकी स्थिति (जैसे दिल की गति धीमी करना) में लाता है।


 

8. प्रतिवर्ती क्रिया (Reflex Action) क्या होती है? एक उदाहरण सहित समझाइए।

उत्तर:
यह एक त्वरित और स्वत: प्रतिक्रिया होती है जो मस्तिष्क तक संदेश भेजे बिना होती है।
उदाहरण: गर्म वस्तु को छूने पर हाथ झट से हटा लेना।


 

9. प्रतिवर्ती चाप (Reflex Arc) की संरचना क्या होती है?

उत्तर:
प्रतिवर्ती चाप में निम्नलिखित घटक होते हैं:

   i.      संवेदी अंग

  ii.      संवेदी तंत्रिका

iii.      मध्य तंत्रिका तंत्र (स्पाइनल कॉर्ड)

iv.      प्रेरक तंत्रिका

  v.      प्रभावक अंग


 

10. मानव तंत्रिका तंत्र के मुख्य घटकों को समझाइए।

उत्तर:

1.  केंद्रिय तंत्रिका तंत्र (CNS)मस्तिष्क व स्पाइनल कॉर्ड

2.  परिधीय तंत्रिका तंत्र (PNS)संवेदी व प्रेरक तंत्रिकाएं

3.  स्वायत्त तंत्रिका तंत्रशरीर की आंतरिक क्रियाओं का नियंत्रण


 

11. मानव मस्तिष्क का अग्रभाग (Forebrain) कौन-कौन से कार्य करता है?

उत्तर:

  • निर्णय लेना
  • स्मृति
  • इच्छाशक्ति
  • स्वाद, गंध, दृश्य आदि की पहचान
  • बोलने और समझने की क्षमता

 

12. जन्तुओं में हार्मोनों की भूमिका कैसे होती है?

उत्तर:
हार्मोन शरीर की वृद्धि, चयापचय, प्रजनन और मूड जैसे कार्यों को नियंत्रित करते हैं। ये रासायनिक संदेशवाहक होते हैं जो लक्षित अंगों पर विशेष प्रभाव डालते हैं।


 

13. ऑप्टिक नर्व क्या है और इसका कार्य क्या होता है?

उत्तर:
यह एक तंत्रिका है जो आंखों से मस्तिष्क तक दृश्य संकेतों को ले जाती है। यह हमें देखने की क्षमता प्रदान करती है।


 

14. न्यूरॉन में संचार प्रक्रिया कैसे होती है?

उत्तर:
न्यूरॉन के माध्यम से विद्युत संकेत डेंड्राइट से होते हुए सेल बॉडी और फिर एक्सॉन के द्वारा अगले न्यूरॉन या अंग तक पहुँचते हैं। एक्सॉन के अंत में रासायनिक संदेश भेजे जाते हैं।


 

15. स्पाइनल कॉर्ड का क्या महत्व है?

उत्तर:
स्पाइनल कॉर्ड शरीर और मस्तिष्क के बीच सूचना का आदान-प्रदान करता है। यह प्रतिवर्ती क्रियाओं के लिए भी उत्तरदायी है।


 

16. हाइपोथैलेमस की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
हाइपोथैलेमस मस्तिष्क का भाग है जो शरीर के तापमान, भूख, प्यास, नींद तथा पिट्यूटरी ग्रंथि के कार्य को नियंत्रित करता है।


 

17. जन्तुओं में समन्वय की प्रक्रिया किस प्रकार कार्य करती है?

उत्तर:
तंत्रिका तंत्र द्वारा त्वरित सूचना और हार्मोन द्वारा धीमी लेकिन स्थायी प्रतिक्रिया मिलकर शरीर में संतुलन बनाए रखते हैं। यह प्रक्रिया शरीर की क्रियाओं को एकजुट रूप में नियंत्रित करती है।


 

18. मस्तिष्क की कार्यात्मक इकाई न्यूरॉन क्यों कहलाती है?

उत्तर:
क्योंकि न्यूरॉन ही विद्युत संकेत उत्पन्न, ग्रहण और संप्रेषित करता है। यह सभी तंत्रिका क्रियाओं की मूल इकाई है।


 

19. सेरेबेलम (Cerebellum) का कार्य क्या है?

उत्तर:
यह शरीर के संतुलन और मांसपेशियों की गति का समन्वय करता है। चलते समय शरीर को स्थिर बनाए रखने में सहायक है।


 

20. ‘नियंत्रण और समन्वयकी विफलता से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर:
अगर तंत्रिका या हार्मोनल प्रणाली ठीक से कार्य न करे तो शरीर की गति, संवेदना, प्रतिक्रिया, संतुलन, भूख, नींद और प्रजनन जैसे कार्य प्रभावित होते हैं। इससे पक्षाघात, डायबिटीज, थायरॉइड विकार आदि रोग हो सकते हैं।


 

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