मूर्तिकला (Sculpture)

 


 मूर्तिकला (Sculpture)


 

परिचय

मूर्तिकला (Sculpture) एक त्रिआयामी (Three-Dimensional) कला है, जिसमें कलाकार पत्थर, धातु, लकड़ी, मिट्टी और अन्य सामग्रियों का उपयोग करके सुंदर मूर्तियाँ और कलाकृतियाँ बनाते हैं। यह कला हजारों वर्षों से मानव सभ्यता का हिस्सा रही है और दुनिया भर में विभिन्न संस्कृतियों की पहचान बनी हुई है।

प्राचीन काल से ही मंदिरों, महलों और सार्वजनिक स्थलों को सुंदर मूर्तियों से सजाया जाता रहा है। आज भी यह कला आधुनिक और समकालीन रूपों में विकसित हो रही है।


 

 

 

 

 

 


मूर्तिकला के प्रमुख प्रकार


 

1. पत्थर की मूर्तिकला (Stone Sculpture)

यह सबसे पुरानी मूर्तिकला तकनीक है, जिसमें कलाकार पत्थर को तराश कर आकृतियाँ बनाते हैं। भारतीय मंदिरों में पाई जाने वाली नक्काशीदार मूर्तियाँ इस कला का बेहतरीन उदाहरण हैं।

 

2. धातु की मूर्तिकला (Metal Sculpture)

कांस्य, तांबा, पीतल और लोहे से बनाई जाने वाली मूर्तियाँ इस श्रेणी में आती हैं। दक्षिण भारत की प्रसिद्ध चोल वंश की कांस्य मूर्तियाँ इसकी उत्कृष्ट मिसाल हैं।

 

3. लकड़ी की मूर्तिकला (Wood Sculpture)

लकड़ी पर की गई नक्काशी और मूर्तिकला प्राचीन समय से चली आ रही है। यह कला मंदिरों, घरों और हस्तशिल्प उद्योग में विशेष रूप से लोकप्रिय है।

 

4. मिट्टी और टेराकोटा मूर्तिकला (Clay & Terracotta Sculpture)

मिट्टी से बनी मूर्तियाँ सबसे सरल और प्राचीन मूर्तिकला तकनीकों में से एक हैं। यह कला भारत के ग्रामीण इलाकों में बहुत प्रसिद्ध है।

 

5. समकालीन मूर्तिकला (Modern & Contemporary Sculpture)

यह आधुनिक तकनीकों और सामग्रियों जैसे ग्लास, फाइबर, प्लास्टर और डिजिटल 3D प्रिंटिंग के माध्यम से बनाई जाती हैं। यह कला आजकल वास्तुकला और इंटीरियर डिज़ाइन में लोकप्रिय हो रही है।


 

 

 

 

 

 


मूर्तिकला का महत्व


 

सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरमूर्तियाँ किसी भी सभ्यता की सांस्कृतिक पहचान होती हैं।
धार्मिक महत्वभारत में मंदिरों और धार्मिक स्थलों में मूर्तियों का विशेष स्थान है।
सौंदर्य और सजावटमूर्तिकला का उपयोग भवनों, उद्यानों और सार्वजनिक स्थलों की सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है।
रोजगार और कला संरक्षणयह कला हजारों कारीगरों को रोजगार प्रदान करती है और कला को जीवंत बनाए रखती है।


 

 

 

 

 

 


भारत में मूर्तिकला की परंपरा


 

भारत में मूर्तिकला की परंपरा बहुत पुरानी है। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता की "नृत्य करती हुई बालिका" और "पुरुष योगी" जैसी मूर्तियाँ इसका प्रमाण हैं। अजंता और एलोरा की गुफाओं में बनी नक्काशीदार मूर्तियाँ भी भारतीय कला की समृद्धि को दर्शाती हैं।

मध्यकाल में चोल, गुप्त और मौर्य काल में मूर्तिकला अपने शिखर पर थी। वर्तमान समय में भी भारतीय मूर्तिकला अपनी पहचान बनाए हुए है और नए प्रयोगों के साथ विकसित हो रही है।


 

 

 

 

 

 

निष्कर्ष

मूर्तिकला केवल एक कला नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है। यह कला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती है, बल्कि आधुनिक डिज़ाइन और आर्किटेक्चर का भी अभिन्न हिस्सा बन गई है।


 

अगर आप कला प्रेमी हैं, तो मूर्तिकला को जानें, समझें और इसे संजोने में अपना योगदान दें!

 

टिप्पणियाँ

ये भी पढें....

चित्रकला (Drawing and Painting)

Footprints Without Feet – H. G. Wells: Summery

जन्तुओं में प्रजनन (Reproduction in Animals)

जैव प्रक्रम - पौधो तथा जन्तुओं में पोषण, श्वसन, परिवहन तथा उत्सर्जन की मूलभूत अवधारणा (Life processes- Basic concepts of nutrition, respiration, transportation and excretion in plants and animals)

उपसर्ग और प्रत्यय (Prefix and Suffix)

The Making of a Scientist – Robert W. Peterson: Explanation

The Midnight Visitor – Robert Arthur: Explanation, Word Meaning, Summery and Question Answer

The Making of a Scientist – Robert W. Peterson: Word Meaning

उदारीकरण, वैश्वीकरण और निजीकरण (Liberalization, Globalization, and Privatization)

A Question of Trust – Victor Canning: Explanation, Word Meaning, Summery and Question Answer